देश की सत्ता कैसे चले,ये हमको क्यो सिखलाते तुम।
लोकतंत्र के सही मायने,ये हमको क्यो बतलाते तुम।।
स्वयं के संसद में देखो,कि कैसे हिंसा प्रस्फुटित हुए।
स्वार्थसत्ता के भावों से,जनमत से क्यो तुम रुष्ट हुए।।
देशवासियो के निर्णय और जनमत का सम्मान करो।
सहर्ष गर्व के भावों से तुम सत्तापद से विश्राम करो।।
:-कृपेन्द्र तिवारी......
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